आजकल
आजकल बैठे बैठे यू ही गुम हो जाता हू।
अब मै, मै नहीं रहता हू तुम हो जाता हू॥
तेरी चुप चाप सी झील सी आँखों में
मै जाने क्या क्या पढ़ जाता हू।
तेरे होंठो के मंद मंद मुस्कानों को देख
मै जाने कहा खो जाता हू।
इन गुलाब की पंखुड़ियों को छूकर
तेरे स्पर्श का एक एहसास हुआ।
शायद मुझको तुझसे प्यार हुआ॥
तेरे उन भीगे भीगे यादो में
अब भूल मै खुद को भी जाता हू।
इन बेचैन सी रात के मद्धम स्वप्नों में
मै जाने कितनी घड़िया जी जाता हू।
अब लगता है सदियों से लम्बा
तेरा दो पल का इंतज़ार हुआ ।
शायद मुझको तुझसे प्यार हुआ॥
सच में,
आजकल बैठे बैठे यू ही गुम हो जाता हू।
अब मै, मै नहीं रहता हू तुम हो जाता हू॥